Tuesday, August 25, 2009

अपने लिखे गीत

आज मैं अपने लिखे कुछ गीत इस ब्लॉग के माध्यम से सभी तक पहुचने का प्रयास कर रहा हूँ |यह गीत मैंने अपने ग्रुप जिसमे मैं सिंगर था उसके लिए लिखे थे हमने इन गीतों गाया भी हैं तथा इन गीतों की धुनें भी हमारी अपनी ही हैं

पहला गीत जिसे हमने शीर्षक दिया हैं "चेहरा "
तेरा चेहरा जब देखता हूँ मैं सब कुछ भूल जाता हूँ -२
मैं कुछ कहना तो चाहता हूँ -२ मगर मैं कह ना पाता हूँ
-तुझे छुप छुप के देखता हूँ,मैं तुझसे प्यार करता हूँ -2
हसी हैं बहुत ज़माने में मगर मैं तुमपे मरता हूँ मगर मैं तुमपे मरता हूँ .....
तेरा चेहरा .....
-तुम सपनो में आती हो मेरे दिल को चुराती हो -२
कोई छीने न तुम्हे मुझसे बस इस बात से डरता हूँ इस बात से डरता हूँ .....
तेरा चेहरा ....

दुसरा गीत :भोली सी लड़की"
भोली सी एक लड़की दिल को चुरा ले गई .....
हंसके जो देखा मैंने यारो वो शर्मा गई ....
-गाल थे उसके गुलाबी, चाल थी उसकी शराबी
बाल बिखरे हुए थे ,जैसे घटाए हो काली -----२
ना जाने कैसी बला थी दिल को मेरे भा गई
हंसके जो देखा मैंने यारो वो शर्मा गई .....भोली सी....
--सोचा हैं उसको बनालू, यारो मैं अपनी सजनी
आँखों में उसको बसा लू ,जब हो मुलाक़ात अपनी .........२
ना जाने फ़िर कब मिले वो दिल पे मेरे छा गई
हंसके जो देखा मैंने यारो वो शर्मा गई .........भोली सी .....
भोली सी एक लड़की .................


तीसरा गीत :"मिलने आज आएगी "
मिलने मुझको आज वो यार आएगी ....२
मैं उससे कुछ रूठुंगा वो यार मनायगी..२
-पलके बिछाए बैठा हु मैं उसकी राहो में, न जाने कब आएगी वो मेरी बाहों में ......२
बाहों में आकर वो यार कुछ शर्माएगी ...२ मैं उससे .......
-जाने कैसा जादु हैं उसकी निगांहों में,दिल मेरा खो जाता हैं उसकी बातो में ...२
न जाने क्या आज कयामत यार वो लाएगी ...२ मैं उससे.....
-मुझको पागल कर देती हैं वो मेरी दीवानी ,सोचा हैं आज मैं दे दू उसको एक निशानी ...२
उसको मेरी याद फ़िर ना यार सताएगी ...२ मैं उससे .....
मिलने मुझको आज वो यार........ आएगी .............

अफवाह का गणित

आज माडिया के माध्यम से कोई भी खबर मिनटों में करोडो लोगो तक पहुँच जाती हैं परन्तु क्या आप जानते हैं यह सब इतनी तेजी से कैसे होता हैं. आएये समझते हैं इस गणित को, कल्पना कीजिये की आप एक ऐसे शहर में रहते हैं जिसकी आबादी एक लाख हैं उस शहर में कोई व्यक्ति किसी से मिलने सवेरे आठ बजे पहुँचा उसके पास एक ख़बर थी जिसे उसने तीन सदस्यों को सुनाया जिसमे उसे मात्र पन्द्रह मिनट लगे, अब मात्र पन्द्रह मिनट में यह ख़बर चार लोगो को मालुम हो गयी |अब इन तीनो में से प्रत्येक व्यक्ति यह खबर अन्य तीन लोगो को सुनाता हैं जिसमे उन्हें भी मात्र पन्द्रह मिनट लगते हैं यानी अब सिर्फ़ आधे घंटे में यह ख़बर ४ +(३*३=९) यानी १३ लोगो तक पहुँच जाती हैं और यही क्रम अगर लगभग तीन घंटो तक चलता हैं तो देखे क्या होगा|
समय व्यक्ति
८ बजे एक
८:१५ बजे १+३=४
८:३० बजे ४+(३*३)=१३
८:४५ बजे १३+(३*९)=४०
९:०० बजे ४०+(३*२७)=१२१
९:१५ बजे १२१+(३*८१)=३६४
९:३० बजे ३६४+(३*२४३)=१०९३
९:४५ बजे १०९३+(३*७२९)=३२८०
१०:०० बजे ३२८०+(३*२१८७)=९८४१
१०:१५बजे ९८४१+(३*६५६१)=२९५२४
१०:३० बजे २९५२४+(३*१९६८३)=८८५७३
तो देखा आपने मात्र ढाई घंटे में यह ख़बर एक लाख में से ८८५७३ लोगो को पता चल गई और इसमे किसी भी प्रसारण की जरुरत नही पड़ी केवल माउथ टू माउथ पब्लिसिटी से एक ख़बर पुरे शहर में मात्र ढाई घंटे में फ़ैल गयी और अब यह ख़बर बन गई अफवाह ..............

वाह इंडिया क्या कहना

कलर्स टीवी चैनल के बहुचर्चित कार्यक्रम" इंडियास गोट टैलंट "में उडीसा के मजदूरो का ग्रुप जीत गया बहुत खुशी हुई लगा की जैसे धरती पर अभी भी भगवान् हैं, और भारतवाशी अब सही ग़लत का अन्तर पहचानने लगे हैं भले ही इस कड़े मुकाबले में भारत की जनता ने इस ग्रुप को जीताया पर इस ग्रुप में वाकई ज़बरदस्त प्रतिभा थी।सारे कलाकार बेहद आम मजदूर वर्ग के थे उनके पास सिर्फ़ हुनर था कोई मार्गदर्शक या सिखाने वाला भी नही फ़िर भी अपनी गज़ब की प्रतिभा के चलते पुरी भारत की जनता का दिल उन्होंने जीत लिया |
इस ग्रुप को जीतता देख ऐसे कई प्रतिभाशाली लोगो को कुछ कर दिखने का अवसर मिलेगा और मुझ जैसे आम आदमी को यह तसल्ली मिलेगी की जैसा मैं सोचता हूँ वैसा ही भारत की जनता भी सोचती हैं सच ही हैं की इस कार्यकर्म में हुनर ही असली विन्नर साबित हुआ| इस बेहतरीन फैसले के लिए भारत की जनता को हजारो हजारो सलाम व धन्यवाद .........|