Tuesday, September 29, 2009

कुछ तो कहने दो

दिन भर की भागदौड़ से समय निकलकर जब कभी कुछ कहना चाहो तो इस खिड़की के सामने आ जाना और जी भर के अपनी भडास लिखाई के रूप में कह जाना, इस बात से बिल्कुल मत घबराना की दुनिया तुम्हे कुछ कहेगी कोई कुछ भी कहे पर तुम बिल्कुल मत शर्माना बस अपनी बकबक, झकझक जी भर के यहाँ उडेल जाना कोई पढ़े ना पढ़े कोई देखे ना देखे बस अपनी भडास निकाल जाना क्यूंकि तुम जो कुछ भी लिखोगे कोई पढ़े ना पढ़े मैं अवश्य पढूंगा क्यूंकि मैं जानता हूँ की तुम कितने काबिल हो ,कितने काम के हो ,इस पुरी दुनिया के लिए कितने ज़रूरी होतुम्हारा दोस्त ..........
एक दोस्त का सभी दोस्तों को पैगाम ..............

Monday, September 28, 2009

जो तुम साथ नही

जो तुम अगर मेरे साथ नही
इस ज़िन्दगी का सफर नही
खुले आसमा के निचे रहेंगे
चाहेंगे फ़िर एक घर नही
तन्हाई की राते कटेगी कैसे
होगी जब कभी सहर नही
जो तेरे दिल पे सीधी उतरे
मेरे पास ऐसी नज़र नही
रोक सके जो दिल परिंदे को
तेरी दुआओं में वो असर नही
ज़िन्दगी के बढते कारवा को
अब तो मौत का भी डर नही ...........

Thursday, September 24, 2009

नारी तुम महान हो ....


नारी तुम महान हो तुम्हे सत् सत् नमन
सृष्टि के निर्माण के लिए और धरती पर हमें लाने के लिए तुम अपने उदर में हमें नौ माह बिना किसी स्वार्थ के रखकर पालती हो हमारा निर्माण करती हो हमें जनम देने के बाद तो तुम्हारा और भी कर्तव्य बढ़ जाता हैं हमें हमारे आने का प्रयोजन और कारण हमें बताती हो|
धरती पर पिता व गुरु का ज्ञान भान सर्वप्रथम तुम ही दर्शाती हो कितनी सहनशीलता, धैर्य व ममता,करुणा से एक छोटे से पौधे को पेड़ में बदलने के लिए स्वयं ख़ुद को पूर्णतया समर्पित कर देती हो बदले में तुम कुछ नही चाहती हमेशा देने को तत्पर रहती हो ऐसा शायद भगवान् भी स्वयं नही कर सकता था इसलिए उसने तुम्हे बनाया शायद तभी कहा जाता हैं की भगवान जानता था की वो हर जगह ख़ुद मौजूद नही रह सकता इसलिए उसने माँ के रूप में नारी का निर्माण किया |


एक संवाद

मेरा जो कुछ भी हैं तेरा हैं वो सनम
बस इतना कहदे तू ......किसी...और की नही .......

Wednesday, September 9, 2009

वो ख़त तुम्हारा

-वो एक ख़त तुम्हारा जो मेरे नाम था
मुझे सारे जगत का मालिक बना गया
-कल जो मिला मुझे तुम्हारा लिखा कागज़
सारी उम्र का मेरा लेखन परिणाम बता गया
-शब्दों में तुम्हारे जो छुपा हुआ जाल था
सीधी सरल भाषा में मुझे आइना दिखा गया
-हो सके तो फ़िर मुझे एक दिन लिखना
देर ना करना और इस बार याद रखना
वो कभी ना लौटा जो एक बार गया ..............

एक अपनी कविता

आज अपनी लिखी एक कविता याद रही हैं जिसे मैं इस ब्लॉग के जरिये आप सब तक पहुचाना चाह रहा हूँ इसआशा के साथ की आप सब को यह पसंद आएगी यह कविता मैंने साल पहले लिखी थी |
कविता का शीर्षक मैंने सोचा हैं "जब"

जब कुछ भी ठीक ना हो
रौशनी की किरण ना हो
छुपने की जगह ना हो
जीने
की वजह भी ना हो
मुझे
आवाज़ देना मैं जाऊंगा |

जब
सब रास्ते बंद हो
ना जीने की उमंग हो
ज़िन्दगी बोझ लगने लगे
ख़ुद से ही डर लगने लगे
मुझे आवाज़ देना मैं जाऊंगा|

जब
कोई साथ ना दे
पीछे से आवाज़ दे
दिल खाली वीरान सा हो
अपनी कोई पहचान ना हो
मुझे आवाज़ देना मैं जाऊंगा |

जब
ये मन उदास हो
कोई भी ना पास हो
किसी की तलाश हो
ना ख़ुद पे विश्वास हो
मुझे आवाज़ देना मैं जाऊंगा |

जब
दुनिया डराने लगे
अपने बेगाने से लगे
तन्हाई सताने लगे
अँधेरा रिझाने लगे
मुझे आवाज़ देना मैं जाऊंगा|

जब
तुम्हे किसी की जरुरत हो
हां प्यार करने की फुर्सत हो
ज़िन्दगी का मकसद पाना हो
किसी का दिल जो चुराना हो
मुझे आवाज़ देना मैं जाऊंगा|
सिर्फ़ तुम्हारा ............