नष्ट
होती प्रतिभा –विराट कोहली
कोई भी
नैसर्गिक प्रतिभा कैसे नष्ट होती हैं इसका ताज़ातरीन उदाहरण विराट कोहली को देखकर
लगाया जा सकता हैं एक ऐसा खिलाड़ी जिसे देश का भावी क्रिकेट कप्तान माना जा रहा था
आज टीम मे अपनी जगह बचा पाने के लिए संघर्ष कर रहा हैं इंग्लैंड दौरा विराट के लिए
एक भयावह व डरावना सपना साबित हुआ हैं 5 टेस्ट मैचो की 10 पारियो मे उनका स्कोर
लगभग 150 रन रहा हैं उनकी विलक्षण प्रतिभा व पिछले प्रदर्शन को देखते हुये ही
उन्हे सभी मैचो मे खिलाया गया अन्यथा उनकी जगह कोई और खिलाड़ी होता तो उसे 2 मैचो
के बाद ही बाहर कर दिया गया होता | विराट जैसे जैसे
सफलता पाते गए यह भूलते गए की सफलता सिर्फ उनके बल्ले से निकालने वाले रनो के कारण
हैं नाकी उनके द्वारा किए जा रहे विज्ञापन “23 का हूँ अब नहीं पटाऊंगा तो कब” “बार
बार देखो” तथा “बहुत कुछ हैं दिखाने को” के कारण,यह विज्ञापन
पैसा तो दे सकते हैं परंतु आपसे आपकी सबसे बड़ी वस्तु आपका नैसर्गिक खेल अवस्य छिन
लेंगे क्या आपने सचिन तेंदुलकर जैसी प्रतिभा से ऐसी कभी गलती होते देखी हैं नहीं
ना यही वो फर्क हैं जो सचिन को सचिन बनाता हैं सचिन जहां विदेशी दौरो मे अपनी
पत्नी तक को नहीं ले जाते थे वही विराट कोहली जैसे खिलाड़ी अपनी फिल्मी गर्लफ्रेंड
को साथ मे रखता हैं तो खेल फिर व्यक्तिगत खेल हो जाता हैं देश से जुड़ा खेल नहीं
यानि थोड़ा सा नाम बनाइये फिर विदेशी दौरे पर अपनी गर्ल फ्रेंड संग मौज करिए देश की
हार जीत तो चलती ही रहती हैं वैसे भी हम हिंदुस्तानी अपने देश के लिए कितना सोचते
हैं यह तो सब जानते ही हैं |