Thursday, October 11, 2012

प्रेम नहीं हैं




प्रेम नहीं हैं किसी याद मे ताजमहल बनाना और नाही बेशकीमती उपहार देना |
प्रेम हैं वहाँ पर होना जहां आपकी सबसे ज़्यादा ज़रूरत हो |
प्रेम नहीं हैं घूमना व खाना और नाही चाँदनी रातों मे हाथ मे हाथ डाले चलना |
प्रेम हैं बच्चो को देखना जब आप का साथी थका हुआ हो |


प्रेम नहीं हैं ग़लतीया मानना व मनवाना जब ग़लतीया हो गयी हो |
प्रेम हैं ग़लतीया होने पर भी अपने साथी को माफ करना |
प्रेम नहीं हैं बिना बुरा माने हाँ या ना कहना कहते जाना |
प्रेम हैं बिना जाने एक दूजे को समझना समझाना |


प्रेम नहीं हैं हमेशा एक दूसरे को अपना मान ना या मनवाना |
प्रेम हैं दूसरे के जज़्बातों की इज्जत करना |
प्रेम नहीं हैं सिर्फ जन्मदिन व सालगिरह याद रखना |
प्रेम हैं बिना शब्दो के सांत्वना प्रदान करना |


प्रेम हैं एक ऐसी भाषा जिसे हर प्यार भरा दिल समझता हैं |
एक ऐसा संवेदन जिसे हर कोई महसूस करता हैं |
प्रेम हैं बिना कहे ज़रूरत होने पर हाथ पकड़ना गले लगाना सहलाना|
अपने साथी के साथ खड़े रहना जब वह अपने जीवन की सबसे बड़ी लड़ाई लड़ रहा हो |
प्रेम हैं कभी न खत्म होने वाली खुशी व ग़म की वो दास्तान जो छोटी-छोटी नोकझोक,हंसी मज़ाक सूक्ष्म अन्तर्मन का स्पर्श कराती प्यार भरी देखभाल,जमाने व ज़िंदगी के थपेड़ो से राहत दिलाती फुसफुसाहट जो निरंतर चमकती व चलती रहती हैं |
सच प्रेम है एक ऐसा अधूरा शब्द जो खुद तो अधूरा हैं पर सबको पूर्ण कर देता हैं.............|


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