----- यह कविता होली के उपलक्ष्य पर हमारे मित्र विश्वनाथ ने भेजी है -----
सच यह की प्रेम सबसे रंगीन रंग
भींगे इसमें राधा मीरा, और
अंगुली माल का हर एक अंग
चाहे बुद्ध की बानी हो
या कृष्ण की गाई गीता
प्रेम में रंगता सजता हर पन्ना
खिलता ,फूलता चौड़ा होता हर सीना
कहे मुझसे अभी धीरे से कविता
मित्रो की मस्ती में मेरी हर दिन चढ़ती डोली
लाल कभी नीला है कभी, कभी गुलाबी मेरी चोली
प्रेम का करते सब संचार - प्रेम में डूबी यह बोली
कहती मैं निर्लज होकर के -
मैं तो तुम चारो की कबसे हो ली !
सजाते तुम रोज़ मुझे शब्दों में
मेरे लिए तुम्हारा साथ हर दिन होली !
--- विश्वानि, मार्च १८, २०११
कविता के रंग, मित्रो के संग
छुपे रंग की महक तो देखो
बंद कली की खिलती महक तो देखो !
दोस्तों की यह चहक तो देखो
कविता तान पर नाचते हमारे
ऊँगली की थाप तो देखो !
धन्य भारत देश जोड़े सबको हर त्यौहार
प्रेम को ब्याहा एक घडी से और बना दिया त्यौहार !
दिवाली लाती फुलझड़ी , पटाखे अनार की अंगार तो होली सजाती हर मन तन में रंग और श्रृंगार
रंग रंगीली दुनिया और भी सज जाती है
गुलाल गुब्बारों से जब गली हर सज जाती है भींगे बच्चे ,भींगी धरती और कन-कन उडे मस्त रंग
रंग लगाने, अंग लगाने का जैसे छिड़ा हो निर्मल जंग
भींगे इसमें राधा मीरा, और
अंगुली माल का हर एक अंग
चाहे बुद्ध की बानी हो
या कृष्ण की गाई गीता
प्रेम में रंगता सजता हर पन्ना
खिलता ,फूलता चौड़ा होता हर सीना
कहे मुझसे अभी धीरे से कविता
मित्रो की मस्ती में मेरी हर दिन चढ़ती डोली
लाल कभी नीला है कभी, कभी गुलाबी मेरी चोली
मजे में सबके संग मुझसे करते तुम कभी ठिठोली !
कभी नाचते ,मुझे हंसाते बनाते तुम मुझे हंसी कि गोली प्रेम का करते सब संचार - प्रेम में डूबी यह बोली
कहती मैं निर्लज होकर के -
मैं तो तुम चारो की कबसे हो ली !
सजाते तुम रोज़ मुझे शब्दों में
मेरे लिए तुम्हारा साथ हर दिन होली !
--- विश्वानि, मार्च १८, २०११
आपको होली की बहुत बहुत शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteमेरी लड़ाई Corruption के खिलाफ है आपके साथ के बिना अधूरी है आप सभी मेरे ब्लॉग को follow करके और follow कराके मेरी मिम्मत बढ़ाये, और मेरा साथ दे ..
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