Sunday, August 5, 2012

खोज खबर-



1इंजेक्शन लौटाएगा आँखों की रोशनी –वाशिंगटन वैज्ञानिको का यह दावा हैं की उन्होने ऐसे रसायन की खोज की हैं जिससे नेत्रहीन लोगो मे आँखों की रोशनी वापस आ सकती हैं इस रसायन को इंजेक्शन के जरिये जब एक नेत्रहीन चुहिया को लगाया गया तो उसमे थोड़े दिनो के लिए रोशनी आ गयी यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन मे नेत्र चिकित्सक ओर सहायक लेखक डौक्टर रसेल वान ने कहा “आँखों की रोशनी वापस लाने के क्षेत्र मे यह एक महत्वपूर्ण खोज हैं “इस यौगिक को “एएक्यू” कहा जाता हैं जेओ आँखों मे प्रकाश के प्रति संवेदनशील इलेक्ट्रोनिक चिप लगाने से कम आक्रामक होता हैं |यह पद्दती उन लोगो के लिए फायदेमंद हो सकती हैं जो “रेटिनिटीस पिगमेंटोसा” नाम के वंशानुगत बीमारी से ग्रसित होते हैं यह अंधेपन की सबसे आम बीमारी हैं |
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)  साथ दफ्तर जाने से प्यार बढ़ता हैं- होंगकोंग स्थित चीनी विश्वविद्यालय के एक नए अध्ययन  मे कहा गया की जिन शादीशुदा जोड़े के दफ्तर एक ही दिशा मे होते हैं ओर वे साथ साथ ही दफ्तर जाते हैं ऐसे लोग काफी खुश रहते हैं रिपोर्ट के अनुसार शोधकर्ताओ ने अलग अलग सर्वे कर यह नतीजा निकाला की एक साथ काम पर जाने वाले जोड़े अपनी शादी को लेकर अधिक संतुष्ट थे चाहे उन्हे शादी किए कितना भी समय क्यू ना गुजर गया हो |
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 नारंगी से खूबसूरती –लंदन स्वास्थ्य ओर सौन्दर्य विशेषज्ञो के एक दल का कहना हैं नारंगी के रस मे पाया जाने वाला पीला पिग्मेंट सूरज की किरणों से आपकी त्वचा को होने वाले नुकसान को कम करता हैं तथा त्वचा के लचीलेपन मे सुधार करता हैं विशेषज्ञ यह भी मानते हैं की इस नारंगी के रस मे विटामिन-सी,पोटेशियम ओर फोलिक एसिड होती हैं जो सुंदरता बढ़ाने मे तो मददगार होती ही हैं साथ साथ बालो ओर नाखूनो की खुबसूरती भी बढ़ाती हैं |
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 ध्रूमपान छोड़ बचे पैंकरियाज़ कैंसर से- एम्स के डाक्टरों का कहना की पैंकरियाज़ का कैंसर अन्य सभी कैन्सरो से अधिक खतरनाक होता हैं क्यूंकी जब तक इसका पता चलता हैं तब तक यह अपनी पकड़ शरीर मे बना चुका होता हैं इसलिए कैंसर हो ही नहीं इसके लिए लोगो को ना सर्फ ध्रूमपान छोड़ना चाहिए बल्कि खूब मात्रा मे फल ओर सब्जिया खानी चाहिए |यह कैंसर पैंकरियाज़ यानि अग्नाशय के मुहाने पर ट्यूमर होता हैं जिससे पैनक्रिटिक डक्ट मे अवरोध पैदा होता हैं ओर पीलिया हो जाता हैं  ट्यूमर के आकार बढ़ने से समीप की अंतडिओ ओर तंत्रिकाओ पर दवाब पड़ने से पेट के निचले हिस्से मे दर्द होता हैं ओर भूख न लगने की शिकायत होती हैं वजन कम होने लगता हैं उल्टी ओर दस्त लग जाते हैं |डाक्टरों के अनुसार इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति 6 माह से लेकर 5 वर्ष तक ही जी पाते हैं

  एंटि बायोटिक से अधिक कारगर लहसुन –वैज्ञानिको का दावा हैं की लहसुन मे पाया जाने वाला तत्व “डाइलिल सल्फाइड़ “भोजन को विषाक्त बनाने वाले बैक्टीरिया से लड़ने मे कारगर साबित हो सकता हैं |वाशिंगटन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओ ने पाया की यह तत्व विषाणु द्वारा बनाई गयी जहरीली परत को आसानी से तोड़ देता हैं|ड़ेली मेल के अनुसार शोधकर्ता माइकल कोनकेल ने कहा की इस तत्व से भोजन ओर पर्यावरण मे विषाणु के खतरा को कम करने मे मदद मिल सकती हैं |

 बेकार हैं ड्रिंक्स –कार्बोनाटेड पेय न सिर्फ आपका वजन बढ़ाते हैं बल्कि उसे कम करने की कोशिशों को भी नाकाम करते हैं शोध बताते हैं की ऐसे पेयों की आदत होने से आपका शरीर वसा की जगह शर्करा का उपयोग करने लगता हैं जिसकी वजह से वजन घटाना मुश्किल हो जाता हैं भविष्य मे इससे आपके रक्त मे शर्करा की मात्रा  बढ़ जाने से मधुमेह हो सकता हैं |कुछ ऐसा ही दावा खिलाड़ियो के स्पोर्ट ड्रिंक के लिए भी किया गया हैं की उसे पीने से भी वजन या मोटापा ही बढ़ता हैं ऊर्जा नहीं जैसा की अब तक माना जा रहा था |

    डार्क चॉकलेट से बने रहे जवान-  सेहत विशेषज्ञो के अनुसार डार्क चॉकलेट खाने से शरीर मे कोलेस्ट्राल ओर रक्तचाप कम होता हैं तथा इसमे मौजूद एंटिऑक्सीडेंट व्यक्ति को जल्दी बूढ़ा नहीं होने देते इसमे फ्लेवेनायड ओर गैलिक एसिड होने से यह दिल को भी स्वस्थ्य रखने मे मदद करती हैं साथ ही साथ पाचन क्रिया ओर कैंसर ठीक करने मे लाभदायक हैं इसके सेवन से खून नहीं जमता हैं ओर उसका बहाव कम रहता हैं | हाँ यह ज़रूर ध्यान मे रखे की जो डार्क चॉकलेट आप खा रहे है उसमे 60% कोको ज़रूर हो यह कड़वी ज़रूर होगी इसलिए इसके साथ फल आदि का सेवन भी करे |

  जुड़वा बच्चो का डीएनए गर्भ मे तय होता हैं-गर्भ मे बच्चे के “जीन” पर माहौल का गहरा असर पड़ता हैं समरूप बच्चो मे अंतर स्थापित करने मे इसकी अहम भूमिका हो सकती हैं (एएमसीआर आई) के वैज्ञानिको ने जन्म के समय गर्भनाल,गर्भ नाल के रक्त आदि की मदद से समरूप ओर असमान बच्चो के समूह का डीएनए का अध्ययन  किया ओर पाया की समरूप जुड़वा बच्चो मे एक ढर्रे मे डीएनए होते हैं लेकिन जीनो को सक्रिय या निसक्रिय करने वाले रासायनिक संकेतक अलग अलग होते हैं इस प्रक्रिया को ईपी-जेनेटिक्स कहते हैं |

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