Thursday, September 24, 2009

नारी तुम महान हो ....


नारी तुम महान हो तुम्हे सत् सत् नमन
सृष्टि के निर्माण के लिए और धरती पर हमें लाने के लिए तुम अपने उदर में हमें नौ माह बिना किसी स्वार्थ के रखकर पालती हो हमारा निर्माण करती हो हमें जनम देने के बाद तो तुम्हारा और भी कर्तव्य बढ़ जाता हैं हमें हमारे आने का प्रयोजन और कारण हमें बताती हो|
धरती पर पिता व गुरु का ज्ञान भान सर्वप्रथम तुम ही दर्शाती हो कितनी सहनशीलता, धैर्य व ममता,करुणा से एक छोटे से पौधे को पेड़ में बदलने के लिए स्वयं ख़ुद को पूर्णतया समर्पित कर देती हो बदले में तुम कुछ नही चाहती हमेशा देने को तत्पर रहती हो ऐसा शायद भगवान् भी स्वयं नही कर सकता था इसलिए उसने तुम्हे बनाया शायद तभी कहा जाता हैं की भगवान जानता था की वो हर जगह ख़ुद मौजूद नही रह सकता इसलिए उसने माँ के रूप में नारी का निर्माण किया |


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