Monday, September 28, 2009

जो तुम साथ नही

जो तुम अगर मेरे साथ नही
इस ज़िन्दगी का सफर नही
खुले आसमा के निचे रहेंगे
चाहेंगे फ़िर एक घर नही
तन्हाई की राते कटेगी कैसे
होगी जब कभी सहर नही
जो तेरे दिल पे सीधी उतरे
मेरे पास ऐसी नज़र नही
रोक सके जो दिल परिंदे को
तेरी दुआओं में वो असर नही
ज़िन्दगी के बढते कारवा को
अब तो मौत का भी डर नही ...........

4 comments:

  1. बेहतरीन रचना!!


    विजया दशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।

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  2. जो तेरे दिल पे सीधी उतरे
    मेरे पास ऐसी नज़र नही ...

    बहुत अच्छा लिखा है ...

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  3. जो तुम साथ नहीं
    मुझे बहुत पसंद आया

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