Friday, November 27, 2009

मन्नाडे को दादासाहब फाल्के



२००७ के राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कारों में सर्वोच्च पुरस्कार "दादासाहब फाल्के" पुरस्कार हिन्दी फिल्मो के बेहतरीन व महान गायक "मन्नाडे" को दिया गया हैं जिसे देखकर व सुनकर बेहद खुशी की अनुभूति हुई ऐसा लगा की देर से ही सही आख़िर हमारे भारत वर्ष को मन्नाडे जैसे महान गायक की प्रतिभा का भान तो हुआ,उनके भारतीय सिनेमा को दिए गए योगदान के लिए उम्र के इस पडाव में उन्हें इस सम्मान से नवाज कर भारतीय सरकार ने यह तो जता ही दिया की उन्हें ऐसे महान लोगो की बहुत परवाह व ज़रूरत हैं


मन्नाडे जैसी शख्सियत कई सालो में एक बार ही धरा पर जन्म लेती हैं यह भी बड़े गर्व की बात हैं की उन्होंने हमारे भारत जैसे देश में जन्म लिया जहाँ उनकी बेहतरीन प्रतिभा का पूर्ण जलवा देखने को मिला तथा इस प्रतिभा के चलते उन्हें अब उचित सम्मान भी दिया गया हैंबहुत कम लोग ही जानते हैं की मन्नाडे ने अपनी संगीत यात्रा की शुरुआत बतौर संगीत निर्देशक की थी परन्तु बाद में उन्हें बतौर गायक प्रसिद्दी अधिक मिली,उन्होंने लगभग३५०० से अधिक गीत देश की विभिन्न भाषाओ में गाये हैंमन्नाडे की गायकी विश्वस्तरीय कलाकारों के समान हैं,शुरू शुरू में इन्हे मुख्यतया:शास्त्रीय गायन से सम्बंधित ही गाने ज्यादा गाने को दिए गए जिन्हें इन्होने बखूबी से गाकर अपना लोहा उस ज़माने के बड़े बड़े गायक दिग्गजों से भी मनवायाअपने ज़माने के मशहूर शोमेन राजकपूर जी के साथ इनकी जबरदस्त ट्यूनिंग जमी जिससे इस जोड़ी ने एक से बढकर एक सुपरहिट गीत दिए जो आज भी बेहद लोकप्रिय हैं


मन्नाडे के गाए हुए गीतों में दिल का हाल सुने दिल वाला,ए भाई ज़रा देख के चलो,लागा चुनरी में दाग छुपाऊ कैसे,पूंछो न कैसे मैंने रैन बिताई,हर तरफ़ अब यही अफसाने हैं,ये दोस्ती हम नही छोडेंगे,यारी है ईमान मेरा यार मेरी जिंदगी,कस्मे वादे प्यार वफ़ा सब वादे हैं वादों का क्या,मेरी भैंस को डंडा क्यों मारा,तू प्यार का सागर हैं आदि गीत आज भी भुलाये नही भूलतेबहुत कम लोग ही जानते हैं की श्री मन्नाडे ने श्री हरिवंश राय बच्चन के काव्य "मधुशाला" को भी अपनी आवाज़ दी हैंइसी उम्मीद के साथ की मन्नाडे जैसी शख्शियत आगे भी बतौर धरोहर हमारा मार्गदर्शन करती रहेगी उन्हीके गाये गीत की कुछ पंक्तिया.......................... आयो कहाँ से घनश्याम से मैं यह लेख समाप्त कर रहा हूँ

दिल की कलम से

यह दिल के दिलकश गलियाँ हैं , यहाँ रंग सवरते रहते है

यहाँ जीत मैं कुछ खामोशी है , हार कभी चुप्पी ताने है

दिल की धड़कन के नगाडे हैं , कोई रंक नहीं सब राजवाडे है

लुट कर ही यहाँ आबाद हुए , न जाने कितनी मजनू हैं

यह "दिल की कलम से "विश्वनाथजी द्वारा प्रेषित किया गया हैं

दोस्त को जन्म दिन की बधाई

दोस्त तुम्हे देता मैं बधाई
निर्मल प्रेम में डुबो हरपल
चिर बसंत हो कभी न पतझर
रहो स्वस्थ , दिल न कभी हो भरी
दिल की आवाज़ दुआ येही दे हमारी


नगर तुम्हारा निपन कहलाता
झिलमिल जहाँ से नभ के तारे
साफ़ जहा जल, मन और थल है
दिल कुश , सुन्दर , सरल श्रमिक जन
जो आखिर सांस तक हार न जाने

यहाँ की बातें तुम मत पूछो
यहाँ की बस्ती धूमिल चंचल
गंगा भी बहती काली सी कल कल
मिटटी में हर पग की रगड़ की बू है
दिल छोटा और मन कुचला मैला
भरे सूर्य को जैसे डराता, मुट्ठी भर का खोखला अँधेरा

हाँ याद तुम्हारी कर के सब कुछ भूला
मन लगा खुश, न लगा अकेला
दोस्त की यादें दोस्त की बातें
रंगती मन मेरा सुनहला
दोस्त तुम्हे देता मैं बधाई

यह बधाई भरा लेख विश्वनाथजी ने भेजा

आलू संग बैठे गाज़र

आलू संग एंट के बैठे था गाज़र, लेके नमक का चस्का
जीरा अलग करने को आया, पर यह खेल न तथा उसके बस का !

चने बह कर डूब रहे थे, सब बोले "छोले! छोले "
भूल सब गिला और शिकवा , चावल संग वो एक थाल में डोले

माखन से भींगी थी रोटी , गोल गरम नरम सी
परत परत में प्रेम समायी - "मैं खाने की रानी हूँ" - बैठी थाल मैं इसी भरम से !

प्याज़ भुनी थी भूरी सी , बलखाती, डोलती रस में
पनीर भी डूबा उसके प्यार में खाके प्रेम की कसमे !

इन सब का रंग देख जमी और ढीठ दही ने भी की मनमानी
हरे धनिया की कर के सवारी उच्छ्ली उसकी निर्मल जवानी !

इन पूरब के व्यंजन को देख पश्चिम में हुआ हडबडाहट
वो घबराकर दौड़ के लाये फलो से मिश्रित कस्टर्ड !

मीठी सौंफ ने थी ठण्ड में ओढ़ी हरी हरी सी चादर
चीनी भी उसको जा मिली गले, किया उसके प्रेम का आदर !

सच है मर्द के दिल के द्वार , जब जब सजते सुस्वादु व्यंजन
पाती है नारी वोह अचल प्रेम , बन माँ, बहना , और तन मन !

---- विश्वानि, दोपहर ३ के आस पास
इस कविता को विश्वनाथजी ने भेजा

Saturday, November 21, 2009

बच्चो को भी पिलाये चाय

यदि आप दिनभर में कप "चाय" अथवा ४०० मिलीग्राम "कैफीन" (कॉफ़ी,कोको) आदि लेते हैं तो यह ना सिर्फ़ आपके दिमाग को चुस्त-चौकन्ना रखता हैं, बल्कि आपको दिल के दौरे या स्ट्रोक से भी बचाता हैं | कैफीन के बारे में तैयार किए गए रिसर्च पेपरों की समीक्षा करने के बाद लन्दन में डाटीसियन डॉक्टर "कैरी रक्सटन" ने यह नतीजा निकाला हैं| उन्होंने यह भी कहा की चाय शरीर में कोलेस्ट्रोल की मात्रा को भी कम करती हैं |चाय कॉफ़ी में पाए जाने वाले "एंटी ऑक्सीडेंट्स" शरीर को "फ्री रेडिकल्स" के हमले से बचाते हैं |इसलिए बच्चो को भी चाय पिलानी चाहिए यह जूस पीने से कही ज़्यादा बेहतर हैं |

Friday, November 20, 2009

फिट रहना हैं तो सोच समझ कर बोले

अमरीकी अध्यनकर्ताओ की माने तो जो जोड़े लड़ाई के समय एक दुसरे से सोच समझकर बात करते हैं उनके शरीर से तनाव सम्बन्धी प्रोटीन कम निकलता हैं व उनके इम्यून सिस्टम पर वैवाहिक तनाव का कम असर पड़ता हैं |
पेन्सिल्वेनिया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओ ने बताया की तनावग्रस्त लोगो में "साईंटोकिन्स" नामक कैमिकल्स ज्यादा पाए जाते हैं| ये प्रोटीन सेल्स द्वारा इम्यून सिस्टम में बनते हैं शरीर में इन प्रोटीन्स की ज़्यादा मात्रा का सम्बन्ध दिल की बीमारियो जैसे मधुमेह,आर्थराईटिस और कई किस्म के कैंसर से होता हैं |मुख्यशोधकर्ता प्रोफेसर जेनिफर ग्राहम ने कहा की अगर आप लोगो को तनाव महसूस करवाएंगे तो आप देखेंगे की उनमे प्रो इन्फ्लामेटरी साईंटोकिन्स जैसे की इंटरल्युकिन-६ और ट्युमर नेक्रोसिस फेक्टर एल्फा(टी एन एफ-एल्फा) की मात्रा बढ जाएगी |शोध में यह भी पाया गया की वह शब्द जिनका इस्तेमाल लोग तनावपूर्ण मौको पर अपने भाव स्पस्ट करने के लिए करते हैं |ये शब्द हैं क्यो,क्यूंकि, और कारण |इन शब्दों से पता चलता हैं की या तो लोग झगडे का अर्थ निकाल रहे हैं या इस बारे में काफ़ी गहराई से सोचते हैं| शोध के दौरान ४२ जोड़ो को २ सप्ताह के लिए अलग अलग सोने को कहा गया इसमे पता चला की तनाव के समय मूड पर नियंत्रण रखने वाले जोड़ो में टी एन एफ एल्फा,इंटरल्युकिन-६ साईंटोकिन्स की मात्रा में कम वृद्धि हुई |इससे पता चलता हैं की तनाव के समय सोच समझकर बातें करनी चाहिए, सोच समझकर कहे गए शब्द जोड़ो को फिट रखने में मददगार साबित होते हैं इस शोध के नतीजे हैल्थ साइकोलॉजी जर्नल में भी छपे हैं |तो अब आप भी सोचसमझ कर बोलिए और फिट रहिये |

Thursday, November 19, 2009

अब काले आलू का मज़ा लीजिये

काले रंग के अंगूर,गाज़र और चुकंदर के बाद अब "काला आलू" भी बाज़ार में आने वाला हैं इलाहाबाद के कृषि विश्वविधालय द्वारा विकसित यह आलू साधारण आलू से कही गुणा बेहतर हैं एंटीओक्सीडेंट से भरपूर होने से इसमे बढती उम्र का असर और कैंसर का जोखिम कम करने क्षमता भी हैं यह भी पाया गया हैं की साधारण आलू के मुकाबले काले आलू में दोगुना आयरन और सात गुणा कैल्सियम पाया गयासंस्थान के अनुसार प्रति १०० ग्राम काले आलू में १०६.२ किलो कैलोरी उर्जा मिलती हैं जबकि साधारण आलू से इतनी ही मात्रा से ९७ किलो कैलोरी प्राप्त होती हैं इस आलू में ७.७% स्टार्च,२३.५३% कार्बोहाईड्रेट के साथ ही प्रचुर मात्रा में विटामिन सी भी पाया जाता हैं यह आलू "एन्थोसाइनिन" नामक एंटीओक्सीडेंट के कारण अन्दर से बैंगनी दिखता हैं जो बुढ़ापे के लिए ज़िम्मेदार फ्री रेडिकल्स को मारने के साथ ही कैंसर की संभावनाओ को भी कम कर देता हैं इस आलू की अन्य खूबियो को जानने के लिए इसे बंगलोर स्थित आई आई एच आर भेजा गया हैं

चुम्बन बताये प्यार का राज़

चुम्बन यानि "किस"आपके मूड को प्रभावित कर बदल सकता हैं, हाल ही में वाशिंगटन में हुए शोध से यह बात सामने आई की पुरे जोश व आवेग से लिया गया "चुम्बन" एक खास तरह के "काम्प्लेक्स कैमिकल" को दिमाग में भेजता हैं |जिससे व्यक्ति ख़ुद को अधिक उत्तेजित,खुश,तनाव रहित व सहज महसूस करता हैं |

शोध में पाया गया की चुम्बन के दौरान हार्मोन मुहं के जरिये एक दुसरे के शरीर में स्थानांतरित होते हैं और तत्काल असर करते हैं |इस शोध से यह भी पता चला की चुम्बन कही ज़्यादा जटिल शारीरिक प्रक्रिया हैं जो की हार्मोनल परिवर्तन के लिए ज़िम्मेदार भी हैं |यह भी पता चला की चुम्बन से एक साथ बहुत कुछ घटित होता हैं जो की व्यक्ति विशेष में काफ़ी बदलाव ला सकता हैं | इन सब बातो का पता १५ जोड़ो में "ओक्सिटोनिक" और "कोर्टिसोल" हार्मोन का स्तर चुम्बन से पहले व बाद में जांचकर लगाया गया,ओक्सिटोनिक जो की व्यक्ति को चुम्बन के बाद एक दुसरे के करीब आने की इच्छा उत्पन करता हैं उसका स्तर चुम्बन बाद बढ गया था जबकि कोर्टिसोल जो की तनाव पैदा करने वाला हार्मोन हैं उसका स्तर गिर गया था लिहाजा अब शोधकर्ता इस शोध को हारमोंस के स्तर पर परख रहे हैं |देखते हैं आगे यह शोध व जांच क्या रंग दिखाती हैं |

Tuesday, November 17, 2009

प्यार बनाता हैं आपको रचनात्मक



अगर आप ज़्यादा रचनात्मक बनना चाहते हैं तो किसी के प्यार में डूबने के बारे में सोचियेआप किसी के प्यार में पड़कर ज़्यादा रचनात्मक हो सकते हैं,आपके दिमाग में काम के नए नए विचार आ सकते हैंआप कोई भी काम ज़्यादा अच्छी तरह से कर सकते हैं यह बात एक नए अध्ययन में सामने आई हैं

वाशिंगटन प्रेस के हवाले से बताया गया हैं की एम्सटरडन विश्वविधालय के शोधकर्ताओ ने पाया हैं की प्यार इंसान की सोच को बदल देता हैं उनका मानना हैं की प्यार में पड़कर इंसान भावुक और विनम्र बन जाता हैं उसे कलात्मक काम करने की प्रेरणा मिलती हैं जबकि यह बदलाव केवल सेक्स करने से नही होता ताजमहल जैसे वास्तुशिल्प कामो के पीछे अगर कुछ हैं तो सिर्फ़ प्यार हैं रोमियो जूलियट जैसा खूबसूरत नाटक प्रेम के कारण ही निर्मित हुआ शोधकर्ताओ ने यह भी पाया की प्यार इंसान की सोच को बदल देता हैं यह इंसान पर बन्दूक के ट्रिगर की तरह काम करता हैं यह इंसान को तार्किक बना देता हैं यह यह भी बताता हैं की किसी को किस तरह जीवन की मुश्किलों को हल करना चाहिए शोधकर्ताओ ने पाया की ऐसा क्या हैं प्यार में जो इंसान में इतने बदलाव पैदा कर देता हैं तो इसका जवाब यह हैं की प्यार का असर दिमाग पर लंबे समय तक रहता हैं जबकि सेक्स का असर कुछ समय के लिए ही होता हैं देखा आपने प्यार कितने काम की चीज़ हैं तो आप भी किसी से प्यार करना शुरू कर दीजिये पर ध्यान रखे केवल प्यार करे सेक्स नही

Friday, November 6, 2009

असुरक्षित नॉर्थ ईस्ट की लडकियां




प्रस्तुति- Pandit Kishore Ji

आज राजधानी दिल्ली के मुनिरका इलाके में एक लड़की जिसका नाम" हैती" बताया जाता हैं उसकी जली हुई लाश मिली,लडकी नॉर्थ ईस्ट की रहने वाली थी और अपनी बहन से मिलने दिल्ली आई हुई थीयह ख़बर महज एक ख़बर के रूप में देखी जा सकती हैं पर ज़रा इस हादसे के पीछे देखे तो क्या ऐसा नही लगता की इस तरह के हादसे (बलात्कार व हत्याए)ज्यादातर नॉर्थ ईस्ट की लड़कियों के साथ या फ़िर अल्प संख्यक लोगो के साथ ही क्यों होते हैं भारतवर्ष वैसे तो धर्मनिरपेक्ष राज्य हैं परन्तु फ़िर भी इसमे कुछ जाति व धर्म को लेकर कुछ लोग अपने पूर्वाग्रह से ग्रसित हैं जो की इस तरह की घटनाओ को न सिर्फ़ अंजाम देते हैं बल्कि इन्हे दबाने का प्रयास भी करते हैं हैती के घर वालो को भी रिपोर्ट लिखवाने के लिए अपने समुदाय के लोगो को इकठ्ठा करना पड़ा क्यूंकि पुलिस रिपोर्ट नही लिख रही थी जो कोई भी इस तरह की घटनाओ को अंजाम देता हैं वह अच्छी तरह जानता हैं की इस तरह की घटनाओ की रिपोर्ट पुलिस लिखेंगी नही क्यूंकि यहाँ पीड़ित या तो अल्पसंख्यक हैं या तो फ़िर नॉर्थ ईस्ट का ऐसे में ज्यादा से ज्यादा क्या होगा पहले तो केश ही नही बनेगा अगर किसी कारणवश बन भी गया तो क्या होगा जब तक केश चलेगा अपराधी को ज़मानत मिल ही जायेगी जिससे वह आजाद हो ही जाएगा और फ़िर कोई गुनाह करेगा पिछले एक महीने में इस तरह के कई वाकये हो चुके हैं (महिपालपुर,जामिया,मौडल टाऊन,जनपथ) जिनमे अधिकतर पीड़ित नॉर्थ ईस्ट की लड़किया ही थी कारण यह भी हैं की उन्हें आसानी से उपलब्ध यानी "ईसिली अवेलेबल"समझा जाता हैं इसका जीता जागता उदाहरण बहुचर्चित फ़िल्म "चक दे"में दिखाया गया हैं सरकार को चाहिए की इस विषय में गंभीरता से सोचविचार कर कोई शख्त कानून बनाये जिससे यह अल्पसंख्यक व नॉर्थ ईस्ट के लोग भारत को अपना घर ही समझे अन्यथा यह लोग अपने देश में ही कही परायेपन को महसूस करने लगेगे जिसके गंभीर परिणाम हमें बाद में भुगतने पड़ेंगे

नौकरी पेशा परिवारों का सच




  1. प्रस्तुति- Pandit Kishore जी
    आज बैंगलोर में हुई एक घटना ने यह सोचने पर मजबूर कर दिया की भारतीय मध्य वर्गीय समाज पैसा कमाने के लिए किस हद्द तक जाने को तैयार बैठा हैं एक "परिवार" अपने सात महीने के बच्चे को घर पर "आया" के भरोसे छोड़कर पैसा कमाने के लिए नौकरी करने जाता हैं व उन्हें पता चलता हैं की वह तथाकथित "आया" इस दूधमुहे बच्चे को भिखारियो को दिनभर के लिए १०० रुपये प्रतिदिन के हिसाब से दे देती हैं तथा शाम को उनके आने से पहले उसे वापस घर ले आती हैं ऐसा पिछले तीन सप्ताह से चल रहा था यहाँ देखे तो इस सारे प्रकरण में दोष सिर्फ़ उस "आया" का नज़र नही आता बल्कि दोष ख़ुद उस परिवार का दिखता हैं जो इतने छोटे बच्चे को सिर्फ़ चंद पैसे के लिए किसी गैर के भरोसे छोड़ के नौकरी करने जाता हैं माना की पैसा बहुत ज़रूरी हैं परन्तु किस कीमत पर ? अगर बात पैसे की ही हैं तो फ़िर बच्चा पैदा करने की ज़रूरत क्या हैं, पहले कमाओ फ़िर परिवार बढाओ अगर आप किसी बच्चे की देखभाल भी नही कर सकते तो उसे जनम क्यों देते हैं एक साथ सभी सुख तो प्राप्त नही किए जा सकते शायद यह इस परिवार का अपराध बोध ही हैं की वह इस सारे घटनाक्रम की रिपोर्ट तक लिखवाना नही चाहता ऐसे में संयुक्त परिवारों की ज़रूरत महसूस की जाती हैं यदि इस परिवार के साथ भी कोई अपना होता तो शायद आज उन्हें ये दिन देखना नही पड़ता, इस घटना ने ऐसे कई सवालो को जन्म दे दिया हैं हम अपनी दुनियादारी में अपनों के लिए ही अपनों से ही कितने दूर हो गए हैं भूतकाल को छोड़कर भविष्य सँवारने की यह फितरत हमें कितनी बड़ी कीमत देकर चुकानी पड़ रही हैं इस घटना से यह देखा जा सकता हैं यहाँ यह भी ध्यान देने योग्य हैं की भिखारी उस बच्चे को नशे का सेवन भीख मांगने के लिए करवाते थे जिससे वह हमेशा सोया रहे....... क्या इस बच्चे का इतना कसूर काफी नही था की उसके माँ बाप उसे इतनी छोटी उम्र में भी उसे घर पर किसी गैर के भरोसे छोड़कर स्वयं नौकरी करने जाते थे

Wednesday, November 4, 2009

मैच का गणित

दिनांक नवम्बर को हुए भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच मैच में कुछ अंको का खेल देखने को मिला जिनका मैं इस ब्लॉग के मध्यम से उल्लेख कर रहा हूँ |आप सब भी गौर फरमाए...........................

सर्वप्रथम इस दिन का भाग्यांक बनता हैं,मोहाली के भी अक्षर,भारत की आज़ादी की तारीख का जोड़ ,भारत के शब्द ,और उस मैच में खिलाड़ी रन आउट हुए,भारत हारा २४ रन से जिसका जोड़ भी होता हैं ६,सचिन ने चौके मारे ६ व सचिन का जन्मदिन भी २४ =६ .........

ऑस्ट्रेलिया ने रन बनाये २५० जिसका जोड़ बनता हैं मास्टर ब्लास्टर रन से ही रिकॉर्ड बनाने से चुक गए |

Sunday, November 1, 2009

इंडियन आयल की आग

जयपुर में इंडियन आयल के डिपो में लगी आग को आज ५० घंटो से अधिक समय हो गया हैं इस आग से ना सिर्फ़ करोडो का नुक्सान देश को हुआ बल्कि इस हादसे ने हमारी सुरक्षा प्रणाली पर भी प्रश्न लगा दिए हैं की यदि इस तरह की दुर्घटनाओं को रोक पाने में हम सक्षम नही हैं तो भविष्य में हमें और भी गंभीर परिणामो को भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए