अमरीकी अध्यनकर्ताओ की माने तो जो जोड़े लड़ाई के समय एक दुसरे से सोच समझकर बात करते हैं उनके शरीर से तनाव सम्बन्धी प्रोटीन कम निकलता हैं व उनके इम्यून सिस्टम पर वैवाहिक तनाव का कम असर पड़ता हैं |
पेन्सिल्वेनिया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओ ने बताया की तनावग्रस्त लोगो में "साईंटोकिन्स" नामक कैमिकल्स ज्यादा पाए जाते हैं| ये प्रोटीन सेल्स द्वारा इम्यून सिस्टम में बनते हैं शरीर में इन प्रोटीन्स की ज़्यादा मात्रा का सम्बन्ध दिल की बीमारियो जैसे मधुमेह,आर्थराईटिस और कई किस्म के कैंसर से होता हैं |मुख्यशोधकर्ता प्रोफेसर जेनिफर ग्राहम ने कहा की अगर आप लोगो को तनाव महसूस करवाएंगे तो आप देखेंगे की उनमे प्रो इन्फ्लामेटरी साईंटोकिन्स जैसे की इंटरल्युकिन-६ और ट्युमर नेक्रोसिस फेक्टर एल्फा(टी एन एफ-एल्फा) की मात्रा बढ जाएगी |शोध में यह भी पाया गया की वह शब्द जिनका इस्तेमाल लोग तनावपूर्ण मौको पर अपने भाव स्पस्ट करने के लिए करते हैं |ये शब्द हैं क्यो,क्यूंकि, और कारण |इन शब्दों से पता चलता हैं की या तो लोग झगडे का अर्थ निकाल रहे हैं या इस बारे में काफ़ी गहराई से सोचते हैं| शोध के दौरान ४२ जोड़ो को २ सप्ताह के लिए अलग अलग सोने को कहा गया इसमे पता चला की तनाव के समय मूड पर नियंत्रण रखने वाले जोड़ो में टी एन एफ एल्फा,इंटरल्युकिन-६ साईंटोकिन्स की मात्रा में कम वृद्धि हुई |इससे पता चलता हैं की तनाव के समय सोच समझकर बातें करनी चाहिए, सोच समझकर कहे गए शब्द जोड़ो को फिट रखने में मददगार साबित होते हैं इस शोध के नतीजे हैल्थ साइकोलॉजी जर्नल में भी छपे हैं |तो अब आप भी सोचसमझ कर बोलिए और फिट रहिये |
Friday, November 20, 2009
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