Saturday, October 24, 2009

कुछ अपने गीत 2

आज इस चिठ्ठे के माध्यम से अपने लिखे कुछ और गीत प्रेषित कर रहा हूँ आशा हैं यह भी आप सभी को पसंद आयेंगे यह गीत मैंने अपने कॉलेज के दिनों में अपने ग्रुप के लिए लिखे थे इन गीतों को हमने स्टेज पर गाया भी हैं इन गीतों की धुनें भी हमारी स्वयं की बनाई हुई हैं|इन धुनों को हमारे ग्रुप लीडर राजेश मस्ताना जी अपने संगीत से संवारा हैं|

पहला गीत इस गीत को हमने शीर्षक दिया हैं "शिकायत"

रोज तुम ना आया करो,ये दुनिया वाले सतायेंगे
दुनिया की हमें परवाह नही,हम तो मिलने आयेंगे
देखेगा जो कोई अगर,हम कैसे बच पाएंगे
दुनिया की हमें परवाह,नही हम तो मिलने आयेंगे

-प्यार मौहब्बत के होते हैं,दुनिया में दिन चार
प्यार तो बस प्यार हैं,ये माने किसी से हार
तुमको देखे बिना सनम,हम तो ना रह पाएंगे
दुनिया की हमें परवाह नही,हम तो मिलने आयेंगे
रोज़ तुम ................
दुनिया की ................

अगर कभी जो हम बिछडे,तो कैसे रह पाएंगे
होके जुदा तुमसे सनम,हम तो मर ही जायेंगे
फ़िर दुनिया में लेके जनम,तेरे लिए हम आयेंगे
दुनिया की हमें परवाह नही,हम तो मिलने आयेंगे

रोज़
तुम ना आया करो,ये दुनिया वाले सतायेंगे
दुनिया की हमें परवाह नही,हम तो मिलने आयेंगे

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