Wednesday, October 28, 2009

हायकू कविता

सड़को पर
खून बहने लगा
पानी सुखा हैं ........

मौसम भी हैं
डरा घबराया सा
आजकल तो.....

जीता हैं कौन
मरता मरता हैं
हर कोई........

ना जाने कहाँ
फ़िर मर गई हैं
इंसानियत......

हैं कहाँ पर
प्यार की बहार
मोहब्बत........

यह कविता लिखने की "जापानी विधा" हैं जिसमे ऊपर व नीचे के छंदों में पॉँच पॉँच वर्ण व बीच में सात सात वर्णों का इस्तेमाल किया जाता हैं |जिसमे अधिकतर सामाजिक जीवन का चित्रण होता हैं |


2 comments:

  1. हाइकू अपेक्षाकृत एक कठिन विधा है, पर आपने इसमें कमाल हासिल कर लिया है। बधाई।
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    स्त्री के चरित्र पर लांछन लगाती तकनीक।
    चार्वाक: जिसे धर्मराज के सामने पीट-पीट कर मार डाला गया।

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  2. इस विद्या के बारे में तो पता ही नहीं था .......... आज जान लिया, अच्छी लगी आपकी ये रचना ...

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