कलर्स चैनल में सबसे पहले प्रसारित होने वाला कार्यक्रम"बालिका वधु" हैं जिसने थोड़े से ही समय में अपनी अलग पहचान बनाली थी, इस कार्यक्रम ने कई बड़े चैनलों के सुपरहिट कार्यक्रमों की छुट्टी करदी थी|इसका"कांसेप्ट" इतना नया व अनोखा था की यह रातोरात जबरदस्त लोकप्रियता पा गया |पर जब कोई धारावाहिक सफलता प्राप्त करता हैं तो निर्देशक उस धारावाहिक की सफलता को भुनाना शुरू कर देते हैं|इस धारावाहिक के साथ भी ऐसा ही हुआ यह सुपरहिट धारावाहिक भी इसी राह पर चलने लगा हैं जिससे यह अपने मूल कथानक से भटक गया प्रतीत होता हैं| एक सीधे सरल प्लाट को निर्देशक ने बाल विवाह से होने वाली हानियो से लेकर पुश्तैनी दुश्मनी तक पहुँचा दिया हैं इस दौरान कहानी कई जगह भटकी,मुख्यपात्र आनंदी के विवाह से होकर,प्रताप की मृत्यु,सुगना का दुसरा विवाह व अवैध संतान,श्याम व महावीर सिंह का बेवजह प्रवेश ना सिर्फ़ मूलकथा को उलझा रहा हैं बल्कि दर्शको की दुरी भी बना रहा हैं|जिससे यह समझ पाना मुश्किल हैं की आख़िर निर्देशक दर्शाना व दिखाना क्या चाह रहा हैं|हम जो देख रहे हैं उसका बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराई से तो कुछ लेना देना प्रतीत नही होता कम से कम मेरी नज़र में तो नही |
अगले अंक में "उतरन"धारावाहिक पर हमारा विश्लेषण पढ़ना न भूले .................इति
Thursday, October 22, 2009
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