यह धारावाहिक "दूरदर्शन" से अस्सी के दशक में प्रसारित कार्यक्रम "एक कहानी"से उठाया गया हैं जिसमे "किसी लेखक"जिसका नाम मुझे ठीक से याद नही हैं शायद (इस्मत चुगताई) की इसी "उतरन"नाम की कहानी का विस्तार कर दिया गया हैं मूल कहानी में "इच्छा" वाला किरदार जानी मानी अभिनेत्री "पल्लवी जोशी" ने निभाया था उस कहानी में भी यही सब था अंत में यह किरदार दुसरे किरदार से कहता हैं की "ज़िन्दगी भर मैंने तेरी उतरन पहनी हैं, पर तेरा पति मेरी उतरन हैं" जो तुझे हमेशा मेरी याद दिलाती रहेगी|
इस कहानी को जिस तरह से खिंचा जा रहा हैं उसे देखकर तो लगता हैं की निर्देशक इसका अंत करना ही नही चाहते|
हर बार एक नया ड्रामा, एक नया किरदार जो कुछ समय के लिए मूल कथा को भटका देता हैं|
अगले अंक में "माता पिता के चरणों में स्वर्ग हैं "का विश्लेषण ज़रूर पढ़े |...............
Thursday, October 22, 2009
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